Thursday, 24 October 2013

अरे, कन्हैया  किसको कहेगा तू मैया ?


गैर  क़ानूनी तरीके  से बच्चा गोद लेने  की तादाद बड़ी 


घटनाओं पर पैनी नज़र रखना और उसे जन जन के सामने लाकर समाधान का प्रयास करना कोइ आसान कार्य नहीं होता  / इसके लिए रिपोर्टर्स   को न केवल तेज तर्रार होना होता है बल्कि  पूरी समझ बूझ के साथ स्थितियों का सामना भी करना होता है / ऐसी ही एक तेज तर्रार और संजीदा रिपोर्टर हैं प्राची दीक्षित, जिन्होंने ख़ास तौर  पर 'खबर गल्ली' के लिए अपनी एक ख़ास रिपोर्ट प्रेषित  की है / "


मुंबई स्थित इंडियन एसोसिएशन फॉर प्रमोशन ऑफ़ एडॉप्शन अण्ड चाइल्ड वेलफेयर की रिपोर्ट के अनुसार ,गैर  कानूनी ढंग से बच्चा गोद लेनें वालों की तादाद  बढ़ती ही जा रही है.कुछ  विवाहित जोड़े , बच्चा गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया से बचने के लिए या फिर मानव व्यापार के लिए बच्चा गोद लेते हैं.इसके चलते आश्रमों और एडॉप्शन संस्था को , बच्चा ना होने की किल्लत  का सामना करना पड़ रहा हैं.
इंडियन एसोसिएशन फॉर प्रमोशन ऑफ़ एडॉप्शन अण्ड चाइल्ड वेलफेयर की प्रभारी  सविता नागपूरकर का कहना है कि  हमारे अब तक के अनुभव से हमें यह ज्ञात हुआ है, अधिकतर कपल्स कानूनी झंझटों से निजात  पाने के लिए इस तरह के कदम उठातें हैं. जिसमें डॉक्टर और एजेंट्स उनका साथ देते है.हमारे पास एडॉप्शन की डिमांड ज्यादा है और बच्चें कम। जिसकी एक मात्र वजह हैं गैरकानूनी तरीका इस्तेमाल करना। देश भर में हर एक संस्था को इस तरह की गंभीर समस्यां का सामना करना पड़ रहा। 
आए.ए पी.ए (मुंबई ) ने बच्चों को कूड़ेदान में ना फेकने,बाल मजदूरी ,अशिक्षा जैसे अनगिनत अपराधों अथवा अत्याचारों से बचानें के लिए ट्रेनों और रेलवे स्टेशन पर बचपन बचाओं अभियान भी किया। 

कहाँ  से आते हैं ये बच्चें ?

आखिर अनाथ आश्रम में बच्चें कहाँ से आते है? कौन हैं इनके माता पिता ? जन्म के बाद क्यूँ इन्हें कचरा पेटी  या रास्तों पर छोड़ दिया जाता हैं ? लड़की होने का अभिशाप ,गरीबी, अशिक्षा ,शायद इसकी वजहों में से एक हो सकती है. लेकिन इसकी असली वजह लोगो की ऐसी  मानसिकता है जो  बच्चा पैदा करना तो जानती है मगर उसकी जिमेदारी से दूर भागने में ही अपनी भलाई समझती है/ ऐसे अनगिनत माता -पिता है जो अपनी जिम्मेदारियों  से पल्ला झाड़ते  हुए ,अपनी कोख से जन्मे को कूड़ेदान या फिर किसी अनजान जगह पर छोड़ देते है. इसके बाद या तो वो अनाथ आश्रम पंहुचा दिए जाते हैं या फिर किसी गलत संगठन के पास पहुँच जाते हैं.हमारा समाज भी इन ठुकराए हुए बच्चों के प्रति कोई खास सवंदेंशील भूमिका नहीं निभाता। उनके लिए एक मात्र जगह रह जाती है आश्रम और पहचान के तौर पर अनाथ होने का घाव। 

ममता बनी मुसीबत 

बच्चा गोद लेना मतलब अंधकार में घुट रहें बचपन को जिंदगी देना। बच्चा गोद लेना अभी -भी भारत में सामान्य और आसन  नहीं है.आये दिन अख़बारों और न्यूज़ चैनल में ,अस्पतालों और रेलवे स्टेशन से बच्चा चोरी और बच्चों के गुमशुदा  होने की खबर आती रहती हैं.इसीलिए बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने का चलन भी बढ़ा है.साथ में बच्चों  की तस्करी भी।

बच्चा गोद लेने के कानून कठोर

बच्चे को गोद लेना ना केवल मासूम को माता -पिता का प्यार ,नयी उमंग ,शिक्षा तथा परवरिश की उड़ान देता है। वही गोद लेने वालों के लिए भी खुशियों और संपूर्णता लेकर आता है.सरकार  के कड़े कानून होने का मतलब ये है की बच्चे का शोषण ना हो। बाल मजदूरी और तस्करी जैसे पीड़न और अपराधों का सामना बच्चों को ना करना पड़े। 

बच्चें का पहला अधिकार अपना परिवार 

इस दुनिया में जन्में प्रत्येक बच्चें को परिवार पाने का पूरा हक है. मगर कानूनी  तरीके से। जिससे गोद लेने और देने वाले एक सही और सुरक्षित कानूनी प्रक्रिया के जरिये मासूम को नयी खुशाल जिंदगी का तौफा देते हैं। 

ध्यान दें -

-प्रत्येक शहर में अनगिनत सरकारी एडॉप्शन संस्था करती है काम ,बच्चा गोद लेने के लिए कीजिये इनका इस्तेमाल। 
-www.adoptionindia.nic.in इस वेबसाइट की मदद से आप गोद लेने की सही जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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