Sunday 20 October 2013

धकेले ही जानें हैं ओल्ड लीडर

पुराने चावल अब हजम नहीं होते/ दरअसल वक्त की करवट से आये बदलाव ने हाजमें पर भी प्रभाव छोड़ा है/ आपका पेट अब उन चीजों को स्वीकार नहीं करता जिसे एकदम से प्योर कहा जाता है/ तो ये नेता कैसे हजम हो सकते हैं जो परम्परा के अधीन खुद को स्तम्भ मान बैठते हैं / ज़माना युवाओं से चलता है / युवा विचारधारा में खुद को घोल कर ही पुराने लोग अपने अनुभव बाँट सकते हैं न कि इस शेखी में रह कर कि चूंकि हम पुराने, इमानदार और अनुभवी हैं तो हमें सुना  जाए, हमारे इशारों पर रहा जाए/    भारतीय जनता पार्टी के वयोवृद्ध हो चुके नेता लाल कृष्ण आडवानी ने जिस जिद का प्रदर्शन किया , चलिए भाजपा में नेकी रही कि उन्हें सर आँखों पर बैठा लिया गया  अन्यथा लतिया दिए जाते / अब इधर शिवसेना में भी हाल कुछ ऐसा ही है / यहाँ मनोहर जोशी अपने पुराने और इमानदार शिवसैनिक होने का ढोल पीट कर यह जतला देना चाहते हैं कि उनको  नज़र अंदाज़ किया जाना पार्टी पर भारी पड़  सकता है/ जबकि शिवसेना उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में परिवर्तन की राह पर है जो समय के साथ उचित भी है/ फिर भी कई सारे स्टैंड उद्धव ठाकरे ने संभाले रखें है बावजूद मनोहर जोशी टाइप नेता अपने अहम् के चलते विशेष बनने और विशेष होने का दर्जा चाहते हैं / जबकि नेता तो वह होता है जिसे कहने की आवश्यकता नहीं होती कि वो दिग्गज है या उसको ध्यान में रखा जाए/ अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण सामने है , जो आज राजनीति से अलग है . बावजूद उनका सम्मान यथावत है/ पुराने नेताओं में जब भी खुद को लेकर असुरक्षा की भावना आ जाती है और वो स्वयं अपने बारे में कहने लगता है तो उसे धकेल कर आगे बढ़ जाना एक नैसर्गिक क्रिया कहलाती है/
मनोहर जोशी निस्संदेह शिवसेना के काबिल सिपहसलार रहें हैं / किन्तु कई बार उनकी हरकतों ने शिवसेना के दर्जेदार तथा युवा लीडरों को सोचने पर मजबूर किया है /  शरद पवार, नारायण राणे या राज ठाकरे जैसे विरोधियों के साथ उनकी गलबहियां शिवसेना में पचती रहे यह कठिन ही था/ इसके बाद भी उन्हें उनके सम्मान से कभी विलग नहीं किया गया / किन्तु अब चूंकि शिवसेना नए प्लेटफार्म से चुनावी रण में उतरने की तैयारी में है और उसे नया जोश चाहिए तब अगर मनोहर जोशी जैसे नेता अपनी परम्परा की दुहाई देते हुए लकीर के फ़कीर बने रहने की बात कहते हैं तो यह गले उतरने जैसा नहीं है / शायद यही वजह है कि शिवसेना में मनोहर जोशी के खिलाफ नारे बुलंद हो गए और मनोहर जोशी को भी अपनी प्रतिष्ठा कायम रखने के लिए  जुमले याद आने लगे/
आप  अगर अनुमान लगाएं कि अगर मनोहर जोशी पार्टी में किनारे कर दिए जाते हैं तो क्या होगा ?  शिवसेना का हालिया तेवर देखने पर यह साफ़ नज़र आ जाएगा कि उसे ज्यादा कोइ हानि नहीं होगी / वैसे भी उसके सामने सबसे बड़ा रोड़ा महाराष्ट्र नव निर्माण सेना का है , ऐसे भी यह रोड़ा तो रहेगा ही / जोशी इस रोड़े को कम करने में कोइ अहम् भूमिका निभाते नज़र तो नहीं आते/ बस बात सिर्फ उनके पुराने नेता होने की है और यही पक्ष शिवसेना में पुरानों के बीच थोड़ा बहुत   असर डाल  सकता है/ पर नए और युवा विचारों के बीच जोशी का धकेल दिया जाना सिवा दूध से मक्खी निकाल देना भर है/ पर यह भी शिवसेना नहीं करना चाहती तो सिर्फ इस वजह से कि उद्धव ठाकरे मनोहर जोशी के योगदान को भूल नहीं रहे/ अब जोशी को चाहिए कि वो सामंजस्य बैठाएं न कि अपनी जिद और अपने अहम् पर रुके रहें/  
-अमिताभ श्रीवास्तव 

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