Tuesday 22 October 2013

शुभकामनाओं का बाज़ार

अपनी सफलता के लिए दूसरों से शुभकामनाएं मांगना क्या ऐसा नहीं लगता कि आपमें खुद में विशवास ही नहीं है सफल होने का / और इसकी क्या गारंटी है जो शुभकामनाएं दे रहा है वो दिल से दे रहा है या घुटने से / यह एक प्रथा हो चली है/ इसका अपना एक मार्केट है/ उद्योग के लिए जरूरी होता है/ प्रोडक्ट के प्रचार के लिए जरूरी होता है/ दर असल हमने अपने सारे कार्यों को प्रोडक्ट बना लिया है/ संस्कृति, परम्पराएं सभी कुछ / सभी का प्रदर्शन / जब प्रदशन होगा तो ऐसे उपाय किये जाने हैं ताकि आप अपने उत्पाद को अधिक से अधिक हाथों तक बेच सकें/ ऐसे विज्ञापित उत्पाद जरूरी नहीं की प्योर हों / उत्पाद का अर्थ यहाँ सिर्फ वस्तु ही नहीं कहा जा सकता/ आपके अपने विचार भी उत्पाद बन चुके हैं/ हर कोइ छोटी से छोटी चीज को बड़ा बनाकर प्रचारित कराने के मूड में दिखाई देता है/ ऐसे में जो शुभकामनाएं प्राप्त होती भी हैं, उनमें वो तासीर नहीं होती जो होनी चाहिए/ वह भी बाज़ार का एक अंग होकर व्यवहारवाद में शरीक हो जाती हैं/ जिससे अपना काम सधे , जिससे खुशामद हो सके, जिससे खुद को सुरक्षित रखा जा सके, और जो खुद को कृपा पात्र साबित कर सके/ यानी सबकुछ सौदेबाजी है/ शब्दों के माध्यम से सौदेबाजी/ व्यापार / शुभकामनाओं के बाज़ार का अपना एक सीजन होता है/ जैसे कोइ बड़ा त्यौहार / कोइ आयोजन/ कोइ शुभारम्भ / और कामनाओं का ये आदान-प्रदान ढकोसला होने के बावजूद बड़ा कीमती होता है/ इससे आपकी प्रतिष्ठा का आकलन होता है/ आपके उत्पाद की गुणवत्ता निखरती है/ किन्तु इससे सफल होने या सफल ही रहना तय नहीं होता/ क्योंकि जब भी आप या आपका प्रोडक्ट असफल होकर सड़क पर गिर जाता हैं तो ये शुभकामनाएं देने वाले ही उसमें मीन मेख निकालने लगते हैं/ भूल जाते हैं कि इसमें उनकी शुभकामनाओं का रोल भी था/ यह सारा का सारा खेल औपचारिकता है/ जीवन औपचारिक होने लगा है/ क्योंकि आपका व्यवहार औपचारिक हो गया है/ आपका कर्म औपचारिक हो गया है / आप किसी का अहित करके अपना परिवार चलाने को सफलता मानते हैं/ चूंकि बाज़ार है तो यहाँ हर हमेश नए नए प्रोडक्ट बाहर आते हैं और पुराने आउट डेटेड हो जाते हैं / एक्सपायर हो जाते हैं/ ये जो आउट डेटेड या एक्सपायर हैं इनका वजूद लगभग ख़त्म हो जाता है /तब कोइ शुभकामना आपको लाभ नहीं देती , जैसे फिलवक्त की शुभकामनाएं/ शुभकामनाएं सिर्फ आपको सहलाने के लिए होती है/ और आप खुद आत्म सुख के लिए इसे देते-लेते हैं/जैसा दोगे , वैसा पाओगे/

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