Sunday 27 October 2013

राजनीति में आग है पटना के धमाके

धमाकों में मरता तो सामान्य आदमी ही है  
नरेन्द्र मोदी की रैली के पहले पटना  में हुए धमाके और मुख्यमंत्री का पटना से बाहर मुंगेर की ओर निकल जाना , फिर कांग्रेसी प्रवक्ता दिग्विजय सिंह का ट्विट  कि   नितीश को इसकी जांच करानी चाहिए , सब कुछ राजनीति लगती है/ राजनीति में आम जनता को ही मरना होता है इसलिए इस धमाके में भी जो हानि हुई है वो जनता की ही हुई / अब बयान -प्रति बयान हो रहे हैं/ दिल्ली की राहुल रैली की और ध्यान खींचने का यह एक प्रयास माना जा रहा है तो यह भी माना जा रहा है कि राहुल रैली की जगह सुर्खियाँ पटना की ओर मुड  जाए/ भाजपा नितीश प्रशासन पर छींटाकशी कर रही है तो जदयू इसे अपनी तरह से भुनाने की कोशिश/ यहाँ इसके अलावा दूसरा कुछ होता नहीं दिखता / राजनीति और राजनीति में शिकार सामान्य आदमी / इसी आदमी के कन्धों पर बन्दूक होती है, इसी आदमी को मारा जाता है, इसी आदमी को अपने प्रचार-प्रसार के लिए दौडाया जाता है/ मरता-जख्मी होता यही आदमी  है/  
धमाके के बाद के हालात मोदी की रैली के होने इसके सम्पन्न होने के बाद पता चलेंगे किन्तु यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बिहार में राजनीति का खेल कितना भयानक हो सकता है/ लालू अन्दर हैं अन्यथा यहाँ का दृश्य दूसरा होता / बावजूद उनकी पार्टी निश्चित रूप से नितीश और भाजपा को घेरेगी / आवाम की शान्ति भंग जैसे आरोप लगेंगे/ सब कुछ होगा /  मगर सामान्य आदमी के जख्मों का कोइ उपचार नहीं होगा /  उधर कांग्रेस को मुद्दा मिल गया है, राहुल इस धमाके को अपने भाषण का मुद्दा बना लेंगे/ इसकी तैयारी भी होती दिखती है दिग्गी के ट्विट  से / बहरहाल , धमाके कहीं भी हो, यह आदमीयत के लिए हमेशा बुरा ही है /