Wednesday 27 November 2013

'आप' सिरदर्द , बीजेपी की बल्ले बल्ले , करहाती कांग्रेस

तीन राज्यों में चुनाव निपट गए/ फैसला आना है/ दो राज्य बचे हैं और दोनों राज्य फिलहाल कांग्रेस के कब्जे वाले राज्य हैं/ राजस्थान और दिल्ली/ राजस्थान में केसरिया लहर है और दिल्ली में 'आप' वाले भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत बने हुए दीखते हैं/ हालांकि एक सर्वे ने बीजेपी को बहुमत दिलाया है तो कांग्रेस को मुंह की खिलाई है और 'आप' को १० सीटें तोहफे में दी है/ किन्तु 'आप' के अंदरूनी सर्वे के मुताबिक़ बीजेपी को दस सीटे मिलेगी और खुद दिल्ली की सत्ता पर काबिज होगी/ माहौल देखकर कहें तो 'आप' का यह ओवर कांफिडेंस है और वे मतदाताओं को अपनी ओर खींचने का प्रयत्न करने में लगे हुए हैं/ बीजेपी को हानि होगी यह तय है किन्तु हर्षवर्धन को तख्तोताज पर बैठे पाया जा सकता है/ शीला दीक्षित और अरविन्द केजरीवाल सामान सीटों के आसपास खड़े दिख सकते हैं/ यह 'खबर गल्ली' का अपना आकलन है/ 'खबर गल्ली' ने मतदान के प्रतिशत का भी एक आकलन निकाला है / दिल्ली में मतदान ८० प्रतिशत होने की सम्भावनाएं है और बताया जाता है कि अगर मतदान ज्यादा हुआ तो इसका फ़ायदा भी बीजेपी और 'आप' को ज्यादा होगा/ कांग्रेस के लिए मुसीबत ही ठहरी / यानी 'आप' सिरदर्द होगी /
उधर राजस्थान  की स्थिति सीधे सीधे केसरिया रंग में रंगी दिख रही है/ वैसे राजस्थान अपनी परम्परा को निभाने में उस्ताद है/ एक बार कांग्रेस , दूसरी बार बीजेपी / उलट-पलट कर सत्ता को परखती राजस्थानी जनता इस बार बीजेपी के मूड में है / हालांकि वसुंधरा राजे की अपनी छवि के चलते यह माहौल नहीं होगा बल्कि नरेंद्र मोदी के लालच में राजस्थान बीजेपी के पक्ष में अधिक झुकी नज़र आती है/ अशोक गेहलोत खुद अपनी सीट बचा लें तो उनके लिए बड़ी  बात होगी, ऐसा माना जा रहा है/ यानी राजस्थान इस बार बड़े परविर्तन की ओर संकेत देता है/ यहाँ वैसे भी वोटों का प्रतिशत अच्छा पड़ता है , और इस बार भी ७० से ८५ प्रतिशत मतदान होने की सम्भावनाएं हैं/
आप इन पाँचों राज्यों के परिणाम का एक अंदाज़ लगाएं तो मिजोरम को छोड़ कर चारों राज्य बीजेपी के पक्ष में जाते दीखते हैं/ यह आनेवाले लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस को एक चुनौती भी होंगे/ दरअसल कांग्रेस ने खुद अपनी छवि खराब की है/ बीजेपी की जीत कोइ बीजेपी से प्रेम के तहत नहीं होगी बल्कि कांग्रेस के पास अपना कोइ बेहतर या  दबंग लीडर के न होने से होगी/ वैसे भी कांग्रेस का पूरा कार्यकाल जनता के हित में कम और अहित में ज्यादा नज़र आया/ आप अंतर्राष्ट्रीय मायाजाल को छोड़ दीजिये , देश का एक आम नागरिक सिर्फ रोटी-कपड़ा-मकान ही देखता है/ और जब उसे ये नहीं मिलता तो उसे सरकार में खामियां दिखती हैं/ कांग्रेस आम जनता को अपने विशवास में लेने में कामयाब नहीं हुई है और यही वजह है कि उसे पटखनी खानी होगी/
बहरहाल, १ दिसम्बर और ४ दिसम्बर को मतदान हैं / इसके बाद फैसले की घड़ी होगी / तब तक सिर्फ आकलन हैं, सर्वे हैं और सम्भावनाएं हैं/ फैसले क्या निकलते हैं यह तो जनता जनार्दन के 'मत' ही दिखलायेंगे /  

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