Monday 9 December 2013

'आप' की देखिये राजनीति

यह दिल्लीवालों की मूर्खता ही है / हाँ, अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने वाला मूर्ख ही कहलाता है/ भले दिल्ली वाले यह न मानें, वैसे भी कौन मूर्ख खुद को मूर्ख कहता है / बहरहाल, यह मूर्खता नहीं तो क्या कि आपने अपनी दिल्ली में किसी को बहुमत नहीं दिया/ बहुमत न मिलना किसी पार्टी विशेष के लिए उतने घाटे का सौदा नहीं है जितना दिल्ली वालों के लिए है/ क्या आप जानते हैं दोबारा चुनाव होने की स्थिति में आपकी जेब पर इसका कितना असर होता है? आपके कामकाज पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता है? यह सब आप दिल्ली वाले भले न जानें पार्टियां जानती हैं/ आप अब ये विचार करें कि जो फैसला आपने दिया है उस फैसले को आपकी जीती हुई पार्टी ही नहीं मान रही/ उनका दम्भ देखिये कि वे दोबारा चुनाव करा सकती हैं, अपनी जनता की फ़िक्र उन्हें  नहीं है/ 'आप' वाले बड़ी शान से इसे जनता का चुनाव कह रहे थे/ जनता जीती है भई, अब क्यों पीछे हट रहे हो? भाजपा और आप , इन दो पार्टियों को जनता ने समर्थन दिया / इन दोनों का फर्ज बनता है कि आपसी दम्भ छोड़कर सरकार बनाएँ और दिल्ली को बचाएं/ मगर अरविन्द केजरीवाल साहब को यह पसंद नहीं / उनका कहना है हमें बहुमत नहीं दिया/ कितना अहंकार है इस आदमी में, कितनीबड़ी राजनीति खेलने का विचार इस आदमी के दिमाग में है क्या आप जानते है? नहीं जानते/ होना तो यह चाहिए कि अरविन्द को अपनी जनता के लिए भाजपा का समर्थन करते हुए विपक्ष में बैठना चाहिए/  और दिल्ली के लिए बेहतर काम करने की नीति पर चलना चाहिए/ मगर उन्हें लोगों से क्या मतलब / उन्हें तो आप पहले बहुमत दीजिये फिर सत्ता पर बैठाइये/
सिर्फ और सिर्फ अरविन्द केजरीवाल की वजह से दिल्ली को दोबारा चुनाव देखने पड़ सकते हैं/ और अगर ऐसा है तो केजरीवाल की ही वजह रहेगी कि वे  प्रशासन, बजट और खर्च की पेचीदगियां ला खड़ा करेंगे/  सबसे बड़ी दिक्कत आम कामकाज से लेकर ट्रेड, इंडस्ट्री, फाइनेंस, हाउसिंग, पीडब्ल्यूडी के कई लंबित प्रोजेक्ट्स के लिए होगी , जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना है/ ऐसे में अब आप समझिये कि आपने 'आप' को मत देकर कितना बड़ा नुक्सान किया है / अगर आपको 'आप' को ही जिताना था तो बहुमत देते / या फिर भाजपा को ही सरकार बना लेने की स्थिति दे देते / भाजपा तो सरकार बनाना चाहती है / उसे दिल्ली की फ़िक्र है किन्तु केजरीवाल को फिक्र नहीं / शायद सम्भव है दोबारा चुनाव में जनता इस सच्चाई को समझ सके/ 

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