Friday 8 November 2013

सट्टे के बट्टे पर बीजेपी ठप्पे


चुनाव हो तो सट्टेबाजों की चांदी रहती है

चित्र गूगल से साभार 
देश में चुनावी माहौल है/ फिलवक्त विधान सभा चुनावों का तंदूर  सुलग रहा  है और इसमें पार्टियां अपने अपने तरीके से  रोटियां सेंकने में जुटी है/ किसकी कौनसी रोटी स्वादिष्ट हो जाए , किसकी रोटी जल जाए कोइ नहीं जानता मगर सर्वे से लेकर सट्टा बाज़ार तक अपने अपने चिमटे से जली -पकी-सिंकी रोटियां छांट छांट   निकाल कर पेश करने पर तुला है/ इन रोटियों की गर्म खुश्बू किसी पार्टी की नाक में दम करती नज़र आ रही है तो किसी पार्टी के पेट में चूहे कुदा  रही है/ यही मज़ा है चुनाव का/ हालांकि अभी मतदान में वक्त है/ यही
  वक्त तो होता है जब  सट्टा बाज़ार अपनी दिवाली मनाता  हैं/  आप को हैरत होगा यह जानकार कि जिस तरह से सर्वे के नतीजे पार्टियों को परेशान और खुश कर देते हैं ठीक उसी तरह से सट्टेबाज़ार का रुख भी पार्टियों की साँसों को ऊपर-नीचे करता रहता है/ जबकि इन दोनों का कोइ शत प्रतिशत आधार नहीं होता / किन्तु राजनीतिक पार्टियों को हवा का रुख भांपने में मदद मिल जाती है/ अब तक के सर्वों में कांग्रेस की बुरी गत रही है तो कांग्रेस ने इस तरह के किसी भी पोल- टी वी चॅनल बहस  आदि  में शामिल होने से इंकार कर दिया है / भारतीय जनता पार्टी के कानों में उसका डंका बजता गूँज रहा है / अन्य पार्टियां जिसमें आम आदमी पार्टी भी है बहस इत्यादि में अपनी बातें रखने को लालायित हैं/ पर इन सबसे अलग सट्टेबाज़ार का रुख देख-जानकार भाजपा की पौ बारह मानी जा सकती है/ क्योंकि सट्टाबाजार भाजपा के पक्ष में झुका हुआ दिख रहा है/
'खबर गल्ली ' के पास जो जानकारियां हैं उसमें भाजपा पर शानदार तरीके से  दांव लगाया जा रहा है/ दूसरे  नंबर पर कांग्रेस है/ वैसे तो ये ही दो पार्टियां ही हैं जो देश के राजनीतिक माहौल का केंद्रबिंदु हैं/ सट्टेबाजार के रुख को किसी भी तरह से मान्य नहीं किया जा सकता किन्तु इससे चुनावी नतीजों से पहले तक का आत्मबल कायम रखा जा सकता है/ भाजपा के लिए शायद यह सोने पर सुहागा ही है कि एक ओर सर्वे उसे विजयी बता रहे हैं तो दूसरी और सट्टेबाज़ार में भी उसकी तूती बोल रही है/ बताया  जाता  है कि  कोइ १० से १५ हजार करोड़ का अब तक भाजपा के फेवर में सट्टा लगाया जा चुका है/ आइये अब आपको इस बाज़ार के रुख का दर्शन करा देते हैं/
सट्टेबाज़ार में हासिल की जाने वाली सीटों के आधार पर भाव लगाया जा रहा है/ किसके पास कितनी सीटें होंगी / यानी जिसके पास जितनी अधिक सीटें होंगी उसे उतनी  तयशुदा रकम दी जायेगी / जानकारी  और चर्चा के मुताबिक़ इस वक्त जो खबरें हैं उसमें दिल्ली  की ७० सीटों में अगर २८ सीटें भाजपा के पक्ष में जाती हैं तो बुकीज करीब २४ पैसे अधिक देंगे / इससे कम सीटें रहीं तो समझो आपको अपनी रकम गंवाना होगी / मजा यह है कि अधिकतर सट्टेबाज़ भाजपा पर दांव लगाना चाह रहे है/ ऐसे ही राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसग़ढ़ का हाल है/ बताया जाता है कि दिल्ली को छोड़ कर अन्य राज्यों में भाजपा को अधिक फायदा है / दिल्ली में 'आप ' भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है/  
सट्टेबाजार के जानकारों का मानना है चुनाव के नजदीक आते आते करोड़ों अरबों के वारे न्यारे हो जाया करते हैं/  क्योंकि सिर्फ सीटे ही नहीं बल्कि नेताओं की जीत हार पर भी पैसा लगाया जाता है/ हाल ही में जो टिकिट बंटवारे के बाद हुए घमासानों से माहौल गरम हुआ तो इसका असर सट्टेबाज़ार पर भी पड़ा/ दर असल नेताओं के मूड , उनके विरोध, उनके तेवरों से भी इस बाज़ार के ग्राफ पर अंतर पड़ता है/ जो हो पर सट्टेबाज़ार में इन दिनों राजनीतिक गरमाहट से चांदी ही चांदी है/ 

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