Tuesday 24 December 2013

हद कर दी 'आप' ने

शतरंज में अगर कोइ अपनी मोहरों के बारे में पहले ही बता दे कि भई मैं प्यादे को इस तरह सरका कर, अपना घोड़ा यहाँ रखूंगा, ऊँट इधर होगा और वजीर इस बॉक्स में रखकर शह दूंगा / अब भला आप बताइये कोइ कभी जीत सकता है ? उसे न केवल हारना है बल्कि वो महामूर्ख भी कहलायेगा/ आप पारदर्शी रहें मगर इतने कि अपने पत्ते खोल कर सामने रख दें , एक खिलाड़ी के लिए यह बेवकूफाना प्रदर्शन होता है और अरविन्द केजरीवाल यही सब कर रहे हैं/
ईमानदारी का ढोल पीट कर अपने माई-बाप जनता की इज्जत और उसके विशवास के साथ घात करना 'आप' का शगल हो चला है/ बड़ी शान से कहा जाता है कि हमारी माई-बाप जनता है उससे अगर हम राय मांगते हैं तो क्या गलत करते हैं/ आप अब तक के आम आदमी वाले सफ़र को देख लीजिये उसने जनता से मांगने के अलावा दिया क्या है? ख़ैर  ..  / छोटा सा उदाहरण है -आपके माता-पिता ने आपको पढ़ा लिखा कर बड़ा किया, कलेक्टर तक बना दिया अब आप अपने क्षेत्र में होने वाली प्रत्येक समस्या-कार्य इत्यादि को लेकर कहें कि नहीं पहले मैं अपने माता-पिता से पूछूंगा तभी कोइ काम करूंगा , कैसे सम्भव है ? पिता आपके काम के बारे में क्या जानता है बेचारा ? उसे तो आपको कलेक्टर बनाना था, अब आपकी काबिलियत है कि आप कैसे घर चलाते हैं/ अपने माता-पिता को किस प्रकार रखते हैं/ आप असफल होते हैं और इसका दोष  भी बेचारे माता-पिता के सिर  फोड़ते हैं कि उन्होंने हमारा पूरा पूरा साथ नहीं दिया अन्यथा बेहतरीन तरीके से घर चला लेता / यह दोगला चरित्र है/ यह किसी भी आदमी के लिए पतन का मार्ग है/ यह धोखा है / और यह सबकुछ इन दिनों 'आम आदमी पार्टी' द्वारा किया जा रहा है/ बार बार खुद को साफ़ स्वच्छ बताकर जनता को सिर्फ बरगलाया ही जा रहा है/ आप आखिर जनता को दे क्या रहे हैं?
नई प्रकार की राजनीति  का डिब्बा बजाते फिर रहे हैं मगर भूल रहे हैं इसमें जनता का कितना नुक्सान हो रहा है/ सत्ता के मोह और उससे अलग रहकर जनता का काम करना ही था तो समाज सेवा ही करते रहते/ देश में कितने लोग हैं जो समाज सेवा में लीं है और बगैर किसी स्वार्थ के/ राजनीति का मैदान खिलाड़ियों का मैदान होता है/ खिलाड़ी को जीतना होता है और वो उसी तरह की रणनीति बनाता है/ आपने भी रणनीति बनाई मगर दर्शकों के कंधे पर रख कर बन्दूक से निशाना साधने की जो बचकानी जिद है यह ले डूबने वाली है/ देखिये बिन्नी जैसे नेता ने अपना मोह प्रकट कर दिया / और यह मोह बेकार भी कहाँ हैं/ ईमानदार मोह है/ आपने गलत किया  कि एक सधे और अनुभवशाली नेता को हाशिये पर रखने का दुस्साहस किया / नतीजा सामने है/ मोह सबको है/ अरविन्द केजरीवाल को भी मोह है/ उनका मोह इस तरह का है कि वे जनता के सामने पाक-साफ़ दिखाई देते रहें/ इसके लिए ve राजनीति कर रहे हैं/ उन्हें जनता के लिए कुछ करना है , ऐसा अबतक नहीं दिखा / बात मेंडेट की कहते हैं/ २८ सीट मिली/ बहुमत नहीं मिला/ आपको बहुमत से क्या करना है/ सरकार बनाकर जनता की भलाई में लगना है / कीजिये/ जब कोइ टांग अड़ाता वो जनता को  सामने दिखाई  ही देता / इसमें परेशानी क्या थी? बहरहाल, आपमें कूवत नहीं है/ वो सिर्फ बेवकूफ बनाना जानती है/ या फिर उसे इसीमें मज़ा आता है या फिर अचानक मिली गद्दी ने उनका दिमाग अस्त व्यस्त कर दिया है/
अपने विरोधियों को मात देने का मतलब यह नहीं कि खेल से भागने की नीति अपनाना / उन्हें सावधान कर देना/ आप सरकार बनाकर वह सब कर सकते थे जिसके लिए नाटक रचा और जनता को बार बार भौंचक बनाये रखा है/ फिलहाल बिन्नी महाशय को मना लिया गया है और हर बार की तरह मीडिया को कटघरे में खड़ा करते हुए 'आप' ने शपथ ग्रहण की और कदम बढ़ा लिया है/ संकट बरकरार है/ अगर कांग्रेस अपना समर्थन वापस लेती है तो यह कांग्रेस का दोष नहीं माना जाएगा बल्कि 'आप' दोषी होगी/ 'आप' ही एकमात्र जनता के कलप्रिट है जिसने सरकार बनाने में डेरी की फिर इतनी आग उगली कि उसके समर्थन वाली पार्टी को बिदकना पड़ा/ आखिर कौन अपमान का घूँट पी पी कर समर्थन देगा? 'आप' इतनी ही ईमानदार है तो अबके फिर चुनाव हो ही जाए/ दूध का दूध पानी का पानी जनता सामने ले आयेगी / क्योंकि जनता को 'आप' जैसी पार्टी से मोहभंग हो चला है/ प्रत्यक्ष को प्रमाण क्या वाले कथन के साथ जनता यह जान चुकी है कि 'आप' में सिर्फ चिल्ला चोट करने का हुनर है , सरकार बनाकर जनता की भलाई करने का नहीं/ 

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