Wednesday 11 December 2013

मिस्टर ईमानदार का पासा

अन्ना के दम पर नेता बने मिस्टर ईमानदार अरविन्द केजरीवाल बीमार हो गए हैं/ और शायद तब तक बीमार रहेंगे जब तक के अन्ना का अनशन ख़त्म न हो जाए/ तरह तरह की बातें इसलिए हो रही है कि अभी जीत के जश्न में कह तो दिया कि वे अन्ना से मिलने रालेगढ़ जायेंगे मगर अचानक दूसरे दिन सुबह बीमार हो गए/ उनके टीम सदस्य अब अन्ना के अनशन में शरीक होंगे/
अच्छा यह बताएं कि आखिर अन्ना के अनशन में मिस्टर ईमानदार क्यों जाना चाहते थे? इसलिए कि  अन्ना से जुड़े रहें हैं और उनसे विलगता की खबर उनकी राजनीति के लिए तकलीफदेय साबित हो सकती है / वे चाह कर भी अन्ना का 'नाम' अपने मुंह से अलग नहीं कर सकते क्योंकि यही वह मंत्रित नाम है जिसके जाप ने उन्हें नेता बना कर खड़ा कर दिया है/ दूसरी ओर  अन्ना के अनशन में जाकर वे मैसेज क्या देना चाहते थे ? इमानदराना तरीके से जनता को बेवकूफ बनाना अरविन्द बेहतर जान चुके हैं/ उनके मैसेज में अन्ना एक बार फिर आवरण होते और वे अपनी राजनीति आसानी से धका लेते/ फिलवक्त वे कर भी यही रहे हैं / और शायद अन्ना खेमे में उनकी चालबाजियां समझ आने लगी है और सम्भव है इसी वजह से अन्ना खेमे ने अरविन्द को अपने अनशन से दूर रखना चाहा हो और अरविन्द ने अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए बीमारी का बहाना बनाया हो और अपने सदस्यों को अन्ना के पास भेजा हो? उधर अन्ना के साथ तकलीफ यह है कि वो भी अरविन्द  को सीरे से नकार नहीं सकते/ इसमें अन्ना की मजबूरी है/ मगर अन्ना टीम में अरविन्द के लिए अब पहले जैसी कोइ जगह नहीं बची है/ अन्ना टीम अच्छी तरह से जानती है कि अरविन्द केजरीवाल किस चिड़िया का नाम है जो चुगती  तो अन्ना के यहाँ है और दम देशभर में ईमानदारी का भरती  है /अगर अरविन्द अन्ना के लिए इतने ही वफादार होते, ईमानदार होते तो वे बीमारी के बावजूद रालेगढ़ जा सकते थे/ जब वे अपना चुनाव प्रचार बीमारी में कर सकते हैं, अनशन के नाम पर कभी बीमार हो सकते है , अपना लक्ष्य नहीं छोड़ते तो अन्ना के पास जाने में ऐसी कौनसी बीमारी उन्हें रोक दे रही है? भई , बातें तो तरह तरह की होंगी, सवाल तो उठेंगे क्योंकि अरविन्द राजनीति के उस्ताद माने जाने वाले खिलाड़ी माने जाने  लगे हैं/ वे पब्लिक फिगर हैं और उनकी प्रत्येक गतिविधि पर सबकी नजरें होंगी /
बहरहाल, दम्भ आदमी के पतन की ओर इशारा करता है/ अपनी रोतली स्टाइल से बोल कर वे जनता के दिमाग को कब तक ठग सकते हैं यह देखना है/ खुद ईमानदार होने का सर्टिफिकेट दिखाया करते हैं , जब जनता ने उन्हें मौका दिया तो लालच देखिये उन्हें बहुमत देकर दिखाओ फिर काम करेंगे ,वाली मानसिकता बना ली है/ और तो और अपना गुस्सा वे भाजपा पर उढ़ेल रहे हैं कि अगर उनके यहाँ कोइ ईमानदार नेता हो तो वो 'आप' में आ सकता है / अभी अपने ईमानदार होने का सबूत देना बाकी है केजरीवाल को / मौका भी दिया मगर  कूटनीति खेलने लगे/ भाजपा हो या कांग्रेस हो , इनसे इतर वे कौनसा नया गेम खेल रहे हैं ? बताइये/ यही सब तो हमारी राजनीति में आज तक होता आया है/
अरविन्द केजरीवाल नामक इस शख्स को समझना होगा / समझ भी रहे हैं लोग / ये क्या वाकई में देश के लिए भला हो सकता है? चलिए मान लेते हैं कि वे भले हो सकते हैं/ किन्तु कैसे भले ? इस भले पन को दिखाओ तो पहले/ 'आप' हमेशा अपनी ही गोटी चलना चाहती है / आप की चित भी  और पट भी हो / आप ही गुरुर में रहो/ और देशभर की जनता आपको ही ईमानदार मानती रहे, बाकी सब आपके पीछे रहें  , आप ही इस देश के पहले और  ईमानदार नेता है / आखिर ऐसा कैसे हम सब मान लें? उसका कोइ एक तो उदाहरण सत्ता में रहकर दिखाते / क्यों बच्चो जैसी जिद है कि हमें बहुमत नहीं मिला , हम सरकार  नहीं बनाएंगे ? भाजपा तो राष्ट्रीय पार्टी है , वो राजनीति खेलती है/ उसका काम ही है कि वह हर कोण से सोचकर अपना फैसला ले/ उसके किसी भी तरह के कदम को आपकी तरह नहीं माना जा सकता / आप जो कहें वो वही करे , ऐसा नहीं हो सकता/ आप कांग्रेस से मिलिए न/ बिना शर्त जब वो आपको समर्थन दे रही है तो क्यों पीछे हटते  हो ? वे तो बस ८ विधायक है / आपके काम के बीच अडंगा भी नहीं डालेंगे/ दर असल भाजपा में नहीं 'आप' में भय है/ इसलिए पहली बार आपके साथ हुई जनता के फैसले को 'आप' नकार रहे  है/ और दोबारा चुनाव में दिल्ली को झौंक रहे हैं/ यह होती है राजनीति/ मिस्टर  ईमानदार की राजनीति/ शायद इसीलिये टीम अन्ना 'आप' को अब कोइ मौका देना नहीं चाहती कि 'आप' उनके दम पर चमकते रहे/ वैसे  भी दिखने लगा है बड़ा हुआ लालच और घमंड का 'ओरा'/

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