Monday, 9 December 2013

अब तो दिल्ली में 'जंग' का ही सहारा है

दिल्ली में चुनावी जंग के बाद जो रिजल्ट आया उसने दिल्ली की परेशानियां दुगनी कर   दी  है/ भारतीय़  जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी के बीच रस्साकशी में आसार  यह नज़र आने लगे हैं कि दिल्ली में अब कोइ तख्तोताज धारण नहीं करेगा बल्कि यह 'जंग' के रास्ते
जायेगी / यानी इस साल बने नए उप राज्यपाल नजीब जंग दिल्ली को सम्भाल सकते हैं/ इसकी पूरी सम्भावनाएं हैं/
पूर्व आईएएस अधिकारी और जामिया मिलिया इस्लामिया के कुलपति रहे नजीब जंग इस साल जुलाई में ही दिल्ली के नए उप राज्यपाल बने थे  / वे मध्‍यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे/  62 वर्षीय  जंग को तेजेंदर खन्ना के स्थान पर उप राज्यपाल बनाया गया था / बतौर नौकरशाह अपने कॅरियर में नजीब जंग कई अहम पदों पर रहे। इस जंग की विशेषता यह है कि ये असली ईमानदार आदमी है / कुलपति रहे तब केवल एक रुपया वेतन लिया यानी ४६ दिनों में ४६ रुपया इनकी वेतन आमदनी रही/ दिल्‍ली में जन्‍मे नजीब जंग ने दिल्‍ली यूनिवर्सिटी (डीयू) से ग्रेजुएशन किया था/ बाद में उच्‍च शिक्षा के लिए वो लंदन स्‍कूल ऑफ इकोनॉमिक्‍स भी गए/ जंग भारत में उच्‍च शिक्षा की हकीकत पड़ताल करने वाली समिति सहित सरकार के कई अहम पैनलों में भी रह चुके हैं/ फिलवक्त उप -राज्यपाल के तौर पर जंग दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण के प्रभारी हैं/ वह दिल्ली सरकार के प्रशासनिक प्रमुख भी हैं/ जंग ने उप राज्‍यपाल के पद की शपथ लेने के बाद कहा था कि कानून व्यवस्था में सुधार और महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिकता होगी/ हालांकि उनके काल में ही दिल्ली ने महिलाओं की सुरक्षा सम्बंधित भूचाल झेला है/
बहरहाल, अब हालात ऐसे हैं कि दिल्‍ली की सरकार बनवाने में जंग की अहम् भूमिका होगी /
 वे बड़ी पार्टी होने के नाते  बीजेपी को सरकार बनाने का न्‍योता देंगे/ भाजपा यह पेशकश कबूल करती है तो उसे विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा/ जैसी स्थिति है उस लिहाज से  बहुमत मिलना नहीं है /
यानी बीजेपी दिल्‍ली में सरकार बनाने से इनकार करेगी और नजीब जंग दूसरी सबसे बड़ी पार्टी 'आप' को सरकार बनाने का न्‍योता देंगे / 'आप' ने भी सरकार बनाने से इनकार कर दिया है , ऐसे हालात में जंग दिल्‍ली में राष्‍ट्रपति शासन की सिफारिश करेंगे/ यदि जंग ऐसा  करते हैं तो गृह मंत्रालय केंद्रीय कैबिनेट को इसकी जानकारी देगा और कैबिनेट को राष्‍ट्रपति शासन लगाने का फैसला सही लगता है तो वह अपनी सिफारिश राष्‍ट्रपति को भेज देगा/ ऐसा ही होना भी है/
अब देखिये दिल्ली की जंग का हाल -
सम्भावनाओं से कौन नकार सकता है / सम्भावनाएं रखनी भी चाहिए और दिल्ली को बचाने के लिए कुछ सुखद हो ऐसा काम भी होना चाहिए/
देखें क्या क्या सम्भव हो सकता है? 
या तो भाजपा के साथ मिलकर आप- सरकार बनाए/ यानी 60 विधायकों का समर्थन/ किरण बेदी का कहना है कॉमन मिनिमम प्रोग्राम (सीएमपी) बना कर छह माह तक सरकार चलाकर देखना चाहिए/ मगर 'आप' ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है/
अब बात आती है कि  अगर ;आप' के 28 के साथ कांग्रेस के आठ विधायक साथ आ जाएं तो 36 का आंकड़ा हासिल हो जाएगा/ जिसकी जरुरत है / पर ऐसा भी होना नहीं है/
तब फिर क्या होगा ? या तो 'आप' सदन से गैरहाजिर रहे/ सरकार भाजपा बनाए और विश्वास प्रस्ताव के समय 'आप' के विधायक सदन से गैरहाजिर हो जाएं/ ऐसे समय सदन में रहेंगे 42 विधायक/ और विश्वास मत के लिए चाहिए होंगे 22 विधायक/ भाजपा के पास यह संख्या है  /
यदि ऐसा भी अगर नहीं होता है तो भाजपा   सदन से गैरहाजिर  रहे/ सरकार आम आदमी  पार्टी बनाए/ विश्वास प्रस्ताव के दौरान भाजपा सदन से गैरहाजिर रहती है तो सदन में बचेंगे 38 विधायक/ ऐसे में बहुमत के लिए 20 विधायकों की जरूरत होगी जो 'आप' के पास है ही/
अब इतना भी कुछ नहीं होता है    तो दिल्ली 'जंग' के हवाले कर दी जायेगी और छ महीनों में फिर से चुनाव होंगे / 

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